दीन दुःखियानो तुं छे बेली तुं छे तारणहार
तारा महिमानो नहीं पार.... 2
राजपाट ने वैभव छोड़ी, छोड़ी दीधो संसार
तारा महिमानो नहीं पार (1)
चंडकोशीयो डसीयो ज्यारे, दूधनी धारा पगथी निकले,
विषने बदले दूध जोईने, चंडकोशीयो आव्यो शरणे।।
चंडकोशीया ने ते तारी, कीधो घणो उपकार
तारा महिमानो नहीं पार (2)
कानमां खीला ठोक्या ज्यारे, थई वेदना प्रभुने भारे,
तो प्रभुजी शांत विचारे, गोवालीयानो नहीं वांक लगा रे।
क्षमा आपीने ते जीवों ने, तारी दीधो संसार
तारा महिमानो नहीं पार (3)
महावीर महावीर गौतम पुकारे, आँखों थी अश्रुधारा वहावे,
क्यां गया ओकला छोड़ी मुजने, हवे नथी कोई जगमां मारे।
पश्चाताप करता करता, उपन्यु केवलज्ञान
तारा महिमानो नहीं पार (4)
ज्ञानविमल गुरु वयणे आजे, गुण तमारा भावे गावे,
थई सुकानी तुं प्रभु आवे, भवजल नैया पार लगावे।
अरज अमारी उरमां धरजो वंदु वारंवार......
तारा महिमानो नहीं पार (5)
तारा महिमानो नहीं पार.... 2
राजपाट ने वैभव छोड़ी, छोड़ी दीधो संसार
तारा महिमानो नहीं पार (1)
चंडकोशीयो डसीयो ज्यारे, दूधनी धारा पगथी निकले,
विषने बदले दूध जोईने, चंडकोशीयो आव्यो शरणे।।
चंडकोशीया ने ते तारी, कीधो घणो उपकार
तारा महिमानो नहीं पार (2)
कानमां खीला ठोक्या ज्यारे, थई वेदना प्रभुने भारे,
तो प्रभुजी शांत विचारे, गोवालीयानो नहीं वांक लगा रे।
क्षमा आपीने ते जीवों ने, तारी दीधो संसार
तारा महिमानो नहीं पार (3)
महावीर महावीर गौतम पुकारे, आँखों थी अश्रुधारा वहावे,
क्यां गया ओकला छोड़ी मुजने, हवे नथी कोई जगमां मारे।
पश्चाताप करता करता, उपन्यु केवलज्ञान
तारा महिमानो नहीं पार (4)
ज्ञानविमल गुरु वयणे आजे, गुण तमारा भावे गावे,
थई सुकानी तुं प्रभु आवे, भवजल नैया पार लगावे।
अरज अमारी उरमां धरजो वंदु वारंवार......
तारा महिमानो नहीं पार (5)
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