दादा आदीश्वरजी, दूर थी आव्यो दादा दरशण दो
कोई आवे हाथी घोड़े, कोई आवे चढे पलाणे।
कोई आवे पगे पाले, दादा ने दरबार ... दादा ॥२॥
सेठ आवे हाथी घोड़े, राजा आवे चढ़े पलाणे।
हूँ आवुं पगे पाले, दादा ने दरबार ... दादा ॥२॥
कोई मुके सोना रूपा, कोई मुके मोहरा।
कोई मुके चपटी चोखा, दादा ने दरबार ... दादा ॥३॥।
सेठ मुके सोना रूपा, राजा मुके मोहरा।
हूँ मुकुं चपटी चोखा, दादा ने दरबार ... दादा ।४॥।
कोई माँगे कंचन काया, कोई माॉगे ऑख।-
कोई माँगे चरणों नी सेवा, दादा ने दरबार ... दादा ।५।-
पांगलो मांगे कंचन काया, आंधलो मांगे ऑँख।
हूँ माँगू चरणों नी सेवा, दादा ने दरबार ... दादा ॥२॥
हीर विजय गुरु हीरलो नें, वीर विजय गुण गाय।
शत्रुंजय ना दर्शन करतां, आनंद अपार ... दादा ॥२॥
कोई आवे हाथी घोड़े, कोई आवे चढे पलाणे।
कोई आवे पगे पाले, दादा ने दरबार ... दादा ॥२॥
सेठ आवे हाथी घोड़े, राजा आवे चढ़े पलाणे।
हूँ आवुं पगे पाले, दादा ने दरबार ... दादा ॥२॥
कोई मुके सोना रूपा, कोई मुके मोहरा।
कोई मुके चपटी चोखा, दादा ने दरबार ... दादा ॥३॥।
सेठ मुके सोना रूपा, राजा मुके मोहरा।
हूँ मुकुं चपटी चोखा, दादा ने दरबार ... दादा ।४॥।
कोई माँगे कंचन काया, कोई माॉगे ऑख।-
कोई माँगे चरणों नी सेवा, दादा ने दरबार ... दादा ।५।-
पांगलो मांगे कंचन काया, आंधलो मांगे ऑँख।
हूँ माँगू चरणों नी सेवा, दादा ने दरबार ... दादा ॥२॥
हीर विजय गुरु हीरलो नें, वीर विजय गुण गाय।
शत्रुंजय ना दर्शन करतां, आनंद अपार ... दादा ॥२॥
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