लाखों भक्त हैं तेरे दादा-२
इक और बढ़ाले, मुझे अपना बना ले...।।टेर।
श्रंगार करूंगा, तेरा में हरदम, (सुन्दर)
तेरी भक्ति करूगा, दादा `मैं हरदम,
चाकर तेरे हैं, कितने दादा-२
इक और बढ़ाले, मुझे अपना बना ले ।॥ लाखों ।१॥
मालपुरा में गुरु ने, था ध्यान लगाया,
अर्हम् अर्हम् का जाप बताया,
परचे तेरे हैं, कितने दादा-२
इक और दिखा दें, मुझे अपना बना ले ॥ लाखों ॥२॥
दरबार सजा है, गुरुदेव का प्यारा,
भक्तों की भक्ति का है, ये नजारा,
कब से खड़े हैं, तेरे द्वारे दादा-२
आदर्श दिखा दे, मुझे अपना बना ले ॥ लाखों ॥३॥
इक और बढ़ाले, मुझे अपना बना ले...।।टेर।
श्रंगार करूंगा, तेरा में हरदम, (सुन्दर)
तेरी भक्ति करूगा, दादा `मैं हरदम,
चाकर तेरे हैं, कितने दादा-२
इक और बढ़ाले, मुझे अपना बना ले ।॥ लाखों ।१॥
मालपुरा में गुरु ने, था ध्यान लगाया,
अर्हम् अर्हम् का जाप बताया,
परचे तेरे हैं, कितने दादा-२
इक और दिखा दें, मुझे अपना बना ले ॥ लाखों ॥२॥
दरबार सजा है, गुरुदेव का प्यारा,
भक्तों की भक्ति का है, ये नजारा,
कब से खड़े हैं, तेरे द्वारे दादा-२
आदर्श दिखा दे, मुझे अपना बना ले ॥ लाखों ॥३॥
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