मालपूरा तेरा सच्चा है धाम,
सुनके कुजाल गुरु तेरा मैं नाम,
दर्शन पाने को आया दर पेतेरे - २ | टेर । ।
जैतसिरी के प्यारे, अपने भक्तो को परचा दिखाए
दिए वो इझोली, कभी दर पे तुम्हारे फैलाए
खाली है ये दामन, आज भराने को ॥ १ ॥
सोमवार पुनम, तेरे दर्शन की महिमा है भारी,
दर पे सर झुकाने, आते लाखो ही नर और नारी
मैं भी तेरे चरणों में, पुष्प चढाने को I २ ॥
क्या बताऊँ दादा, तेरे दर्शन का मैं हँ दिवाना
आश कर दो पूरी, दर से यूं ही न मुझको लौटाना,
रटे है दादा गुरु, आज मनाने को आया दर ॥ ३ ।।
सुनके कुजाल गुरु तेरा मैं नाम,
दर्शन पाने को आया दर पेतेरे - २ | टेर । ।
जैतसिरी के प्यारे, अपने भक्तो को परचा दिखाए
दिए वो इझोली, कभी दर पे तुम्हारे फैलाए
खाली है ये दामन, आज भराने को ॥ १ ॥
सोमवार पुनम, तेरे दर्शन की महिमा है भारी,
दर पे सर झुकाने, आते लाखो ही नर और नारी
मैं भी तेरे चरणों में, पुष्प चढाने को I २ ॥
क्या बताऊँ दादा, तेरे दर्शन का मैं हँ दिवाना
आश कर दो पूरी, दर से यूं ही न मुझको लौटाना,
रटे है दादा गुरु, आज मनाने को आया दर ॥ ३ ।।
रूठे हैं दादा गुरु
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