Wednesday, 28 February 2018

गुरू - पलके ही पलके बिछायेंगे

पलके ही पलके बिछायेंगे।
जिस दिन प्यारे दादा घर आयेगे
हम तो है, दादा के जन्मों के दीवाने - २
मीठे-मीटे भजन सुनायेंगे जिस दिन || टेर ॥

घर का कौना-कौना मैने फूलों से सजाया है
बंधन वार बधाई घी का. दीपक जलाया है
प्रेमी जनों को बलायेंगे - २ ॥ १ ॥

गंगाजल की झारी गुरु के चरणों में वारुं रे
भोग लगाऊं लाड लडाऊं आरती उतारुं
खुशबू ही खुराबू उडायेंगे - २ ॥२ ॥

अब तो लगन एक ही दादा, प्रेम सुधा बरसा दो
जनम जनम की मेली चादर, अपने रंग रंगादे
जीवन को जीवन बनाएंगे - २ ॥३ ।।

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