मैली चादर ओढ़ के कैसे, द्वार तिहारे आऊं,
हे पावन परमेश्वर मेरे, मन ही मन शरमाऊं
तुने मुझको जग में भेजा, देकर निर्मल काया,
आकर के संसार में मैंने, इसको दाग लगाया,
जनम जनम की मैली चादर, कैसे दाग छुपाऊँ।
निर्मल वाणी पाकर तुझसे, नाम न तेरा गाया,
नेत्र मूंदकर हे परमेश्वर, कभी न तुझको ध्याया,
मन वीणा तारें टूटी, अब क्या गीत सुनाऊं..
इन पैरों से चलकर तेरे, मंदिर कभी न आया,
जहाँ जहाँ हो मूरत तेरी, कभी न शीश झुकाया,
हे महावीर में हार के आया, अब क्या हार चढ़ाऊँ
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