(जिस दिन दादा मेरे घर आएंगे)
पलके ही पलके बिछायेंगे
जिस दिन प्यारे दादा घर आएंगे
हम तो है, दादा के जन्मों के दीवाने -२
मीठे-मीठे भजन सुनाएंगे जिस दिन । टेर।।
घर का कौना-कौना मैने फूलों से सजाया है।
बंधन वार बधाई घी का दीपक जलाया है।
प्रेमी जनों को बुलाएंगे २॥ १ ॥
गंगाजल की झारी गुरु के चरणों में वारु रे
भोग लगाऊं लाड लडाऊ आरती उतारूं
खुशबू ही खुशबू उड़ायेंगे २ ॥ २ ॥
अब तो लगन एक ही दादा, प्रेम सुधा बरसा दो
जनम जनम की मैली चादर, अपने रंग रंगा दे
जीवन को जीवन बनाएंगे -२॥३॥
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