(तर्ज फूल तुम्हें भेजा है खत में...)
नाम है तेरा तारण हारा कब तेरा दर्शन होगा,
जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर वो कितना सुन्दर होगा।
तुमने तारे लाखो प्राणी, यह संतों की वाणी है,
तेरी छवि पर मेरे भगवन्, यह दुनिया दीवानी है,
भाव से तेरी पूजा रचाऊं, जीवन में मंगल होगा...
जिनकी प्रतिमा...
सुरवर मुनिजन जिनके चरणों, निशदिन शीश झुकाते हैं,
जो गाते हैं प्रभु की महिमा, वो सब कुछ पा जाते हैं,
अपने कष्ट मिटाने को, तेरे चरणों का वंदन होगा...
जिनकी प्रतिमा..
मन की मुरादें लेकर स्वामी, तेरे चरणों में आते हैं,
हम हैं बालक तेरे जिनवर, तेरे ही गुण गाते हैं,
भर से पार उतरने को, तेरे गीतों का सरगम होगा...
जिनकी प्रतिमा...
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