Tuesday, 27 February 2018

प्रार्थना


अरिहन्तों को नमस्कार । श्री सिद्धों को नमस्कार।
आचार्ों को नमस्कार। उपाध्यायों को नमस्कार।
जग में जितने साधुगण हैं। में सबको वंद बार-बार।

कषभ अजित सम्भव अभिनंदन, सुमति पद्म सुपाश्श्वजिनराय।
चत्द्र पष्प शीतल श्रेयांस जिन, वासपूज्य पजित सुरिराय।
विमल अनन्त धर्म जस उज्जवल, शान्ति कुथु अर मल्लि मनाय।
मुनिसक्रत नमि नेमि पाश्श्व प्रभु, वद्द्धमान पद पुष्प चढाय।
चौबिसों के चरण कमल में, मेरा वन्दत बार-बार।

अरिहन्तों को तमस्कार।

जिसने राग-द्वेष कामादिक, जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का, निस्पृह हो उपदेश दिया।
बुद्ध वीर जिन हरिहर ब्रह्मा, या जिनेन्द्र या हो अवतार।
सब्रके चरण कमल में मेरा, वन्दन होके बार-बार।

अरिहन्तों को नमस्कार।

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