Monday, 26 February 2018

बड़ी दुर से चतलकर आाया हूँ,

बड़ी दुर से चतलकर आाया हूँ, मेरे दादा तेरे दर्शन के लिये ।
एक फूतल गुलाब का लाया हूँ, चरणों में तेरे रखने के लिये 1

ना रोली मोली चावल हैं ....ओ (2)
ना धन - दौलत की थैली हैं(3)
दो आँसु बचाकर लाया हुँ (2)
पूजा तेरी करने के लिए

बडी दूर से ..

ना रंग महल की अभिलाषा ....ओ (2)
इच्छा सोने चाँदी की (3)
तरी दया की दौलत काफी हैं (2)
झोली मेरी भरने के लिए

बडी दूर से ...

मेरे दादा इच्छा नहीं मेरी ....ओ (2)
अब यहाँ से वापस जाने की (3)
चरणों में जगह दे दो थोड़ी (2)
मुझे जीवन भर रहने के लिए :

बड़ी दूर से ..

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